Header Ads Widget

Responsive Advertisement

Ticker

6/recent/ticker-posts

तत्वों का वर्गीकरण इन हिंदी, मेंडलीफ की आधुनिक आवर्त सारणी, Classification of elements in Hindi, modern periodic table of Mendeleev

तत्वों के वर्गीकरण का इतिहास। मेंडलीफ की आधुनिक आवर्त सारणी pdf  

तत्वों के वर्गीकरण का इतिहास।मेंडलीफ की आधुनिक आवर्त सारणी pdf

दोस्तों आज हम जिस विषय पर चर्चा करने वाले हैं वह है तत्वों की आवर्त सारणी लेकिन दोस्तों इससे पहले यह जानना भी आवश्यक है कि वैज्ञानिकों ने तत्वों का वर्गीकरण क्यों किया दोस्तों प्राचीन काल में बहुत कम तत्वों का ज्ञान था तथा इनकी संख्या कम होने के कारण इनका अध्ययन सरल हुआ करता था परंतु समय के साथ इनकी संख्या बढ़ती गई नए-नए तत्वों की खोज होती गई।दोस्तों बता दे कि वर्तमान समय में लगभग 118 तत्वों की खोज हो चुकी है जिनमें से 94 तत्व प्राकृतिक है तथा शेष 24 तत्व कृत्रिम विधियों द्वारा प्राप्त किए गए हैं तत्वों की बढ़ती संख्या के कारण वैज्ञानिकों को तत्वों का अध्ययन करने में कठिनाई हुई जिस कारण वैज्ञानिकों ने तत्वों के अध्ययन को सरल करने के लिए तत्वों का वर्गीकरण किया। उस समय तत्वों के वर्गीकरण की दिशा मे कई वैज्ञानिकों ने प्रयास किए सभी वैज्ञानिकों ने अपने अपने नियम प्रस्तुत किए परंतु कुछ वैज्ञानिकों के नियम प्रचलित हुए जिसके बारे में आज हम चर्चा करने वाले हैं...
  • दोस्तों मैं हूं हिमांशु खरे आप हैं science-hindi.com पर। अगर आपको इसी तरह की ज्ञान से भरे हुए पोस्ट अच्छे लगते हैं तो आप हमें प्रोत्साहित कर सकते हैं चलिए आगे पढ़ते हैं..

बर्जीलियस, प्राउस्ट, डॉबेराइनर, न्यूलैंड, मेंडलीफ आदि वैज्ञानिकों ने तत्वों को वर्गीकृत करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किया जिन्हें निम्न प्रकार से स्पष्ट किया गया है-

1. बर्जीलियस के अनुसार


बर्जीलियस

सर्वप्रथम 18वीं शताब्दी में बर्जीलियस नामक रसायन शास्त्री ने तत्व को उनके गुणधर्मों के आधार पर धातु तथा अधातु में विभाजित किया परंतु बाद में कुछ ऐसे तत्वों का ज्ञान हुआ जिनके गुण धातु और अधातु दोनों के समान थे जिन्हें आज हम उपधातु के नाम से जानते हैं उपधातु की खोज के पश्चात बर्जीलियस का यह नियम अमान्य सिद्ध हुआ।

 2 . प्राउस्ट के अनुसार



प्राउस्ट ने बताया कि तत्वों के परमाणु भार हाइड्रोजन के परमाणु भार के सरल गुणांक होते हैं अतः सभी तत्व हाइड्रोजन परमाणु से मिलकर बने होते हैं परंतु कुछ समय बाद यह ज्ञात हुआ कि तत्वों के परमाणु भार पूर्ण संख्या में नहीं होते तथा यह निश्चित हो गया कि सभी तत्व हाइड्रोजन के परमाणुओं से नहीं बने होते अतः प्राउस्ट का यह नियम अमान्य सिद्ध हुआ।

3 . डॉबेराइनर का त्रिक नियम



डॉबेराइनर ने समान गुणधर्म वाले तीन-तीन तत्वों के समूह बनाए जिन्हें त्रिक समूह कहा गया। इन समूह में पहले और तीसरे तत्व के परमाणु भार का औसत दूसरे तत्व के परमाणु भार को प्रदर्शित करता था यही
डॉबेराइनर का त्रिक नियम था। उदाहरण-

तत्व Li Na K
परमाणु भार 7 23 39
पहले और दूसरे तत्व के परमाणु भारो का औसत =(7+39)/2
अतः Na तत्व का परमाणु भार =23



उस समय ज्ञात तत्वों में डॉबेराइनर केवल तीन त्रिक समूहों (Li, Na, K), (Ca, Sr, Br), (Cl, Br, I) की पहचान कर सके थे उपयुक्त नियम सफल नहीं हो सका क्योंकि अधिकांश तत्वों के परमाणु भार त्रिक समूह नहीं बना सके इसलिए उनके द्वारा किया गया तत्वों का वर्गीकरण अधिक सफल नहीं हुआ।



4. न्यूलैंड का अष्टक नियम




सन 1866 में न्यूलैंड ने देखा कि यदि तत्वों को उनके परमाणु भारो के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित किया जाए तो प्रत्येक आठवें तत्व के गुण पहले तत्व के गुणों से समानता प्रदर्शित करते थे जिस प्रकार संगीत में आठवें स्वर की ध्वनि प्रथम स्वर्ग के समान होती है।
न्यूलैंड का अष्टक नियम केवल कैल्शियम तक के तत्वों के वर्गीकरण के लिए उपयोग तथा कैल्शियम के पश्चात प्रत्येक आठवें तत्व के गुणधर्म पहले तत्व के गुणधर्म के समान नहीं होते थे अतः न्यूलैंड का अष्टक नियम भी विफल हो गया।

5. मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी



तत्वों के वर्गीकरण का मुख्य श्रेय रूसी रसायनिक दिमित्री इवानोविच मेंडलीफ को जाता है तत्वों की आवर्त सारणी के प्रारंभिक विकास में उनका प्रमुख योगदान रहा उन्होंने अपनी सारणी में तत्वों को उनके मूल गुणधर्म परमाणु द्रव्यमान तथा रासायनिक गुणधर्मों में समानता के आधार पर व्यवस्थित किया सन 1869 में उन्होंने उस समय तक ज्ञात सभी तत्वों के गुणों का अध्ययन किया उन्होंने तत्वों के परमाणु क्रमांक एवं उनके भौतिक तथा रासायनिक गुणधर्मों के बीच संबंधों का अध्ययन किया।
रसायनिक गुणधर्म के अंतर्गत मेंडलीफ ने तत्वों के ऑक्सीजन एवं हाइड्रोजन के साथ बनने वाले यौगिकों पर अपना ध्यान केंद्रित किया उन्होंने ऑक्सीजन एवं हाइड्रोजन का इसलिए चुनाव किया क्योंकि यह अत्यंत सक्रिय हैं तथा अधिकांश तत्वों के साथ योगिक बनाते हैं तत्वों से बनने वाले हाइड्राइड एवं ऑक्साइड के सूत्र को तत्वों के वर्गीकरण के लिए मूलभूत गुणधर्म माना गया।
"मेंडलीफ ने बताया कि परमाणु भार तत्वों का मूल लक्षण है इस आधार पर उन्होंने एक नियम प्रस्तुत किया जिसे मेंडलीफ का आवर्त नियम कहते हैं इस नियम के अनुसार तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुण उनके परमाणु भारो के आवर्ती फलन होते हैं अर्थात तत्वों को उनके बढ़ते परमाणु भारो के क्रम में व्यवस्थित करने पर एक निश्चित अंतराल के पश्चात सामान गुणधर्म वाले तत्वों की पुनरावर्ती होने लगती है अपने इस नियम के आधार पर मेंडलीफ ने एक सारणी की रचना प्रस्तुत की जिसे मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी कहा गया"

1. इस सारणी में मेंडिस ने तत्वों को परमाणु भार के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित किया था।
2. इस सारणी में 8 ऊर्ध्वाधर स्तंभ है जिन्हें समूह कहते हैं तथा 12 पंक्तियां हैं जिन्हें आवर्त कहते हैं।
3. एक समूह के सभी तत्वों के गुण समान होते हैं
4. तत्वों को क्रमबद्ध करते समय मेंडलीफ ये ध्यान रखना कि समान गुणों वाले तत्व एक ही समूह में रहे क्योंकि उनको पता था कि भविष्य में नए तत्वों की खोज की जाएगी इसीलिए उन्होंने अपनी आवर्त सारणी में कहीं-कहीं रिक्त स्थान छोड़ दिए थे।

6. मेंडलीफ की आधुनिक आवर्त सारणी

मोजले
मोजले
मोजले ने प्रयोग द्वारा सिद्ध किया की तत्वों का मौलिक गुण परमाणु क्रमांक है परमाणु भार नहीं अतः मोजले ने 1913 में मेंडलीफ के आवर्त नियम में संशोधन कर आधुनिक आवर्त नियम दिया इस नियम के अनुसार तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुण उनके परमाणु क्रमांको के आवर्ती फलन होते हैं अर्थात तत्व को उनके बढ़ते परमाणु क्रमांको के क्रम में व्यवस्थित करने पर एक निश्चित समय अंतराल के पश्चात समान गुणों वाले तत्वों की पुनरावृत्ति होने लगती है।

1. मेंडलीफ की आधुनिक आवर्त सारणी को सात आवर्तों तथा 9 वर्ग या समूह में विभाजित किया गया।
2. पहले आवर्त में केवल दो तत्व हैं जिन्हें अति लघु आवर्त कहते हैं जिनमें हाइड्रोजन तथा हीलियम है।
3. दूसरे और तीसरे आवर्त में 8-8 तत्व हैं जिन्हें लघु आवर्त कहते हैं तीसरे आवर्त के तत्वों को प्रारूपिक तत्व कहते हैं जिनमें सोडियम मैग्नीशियम सिलिका सल्फर आदि तत्व आते हैं।
4. चौथे और पांचवें आवर्त में 18-18 तत्व हैं जिन्हें दीर्घ आवर्त कहते हैं।
5. छठवें और सातवें आवर्त में 32-32 तत्व हैं जिन्हें अति दीर्घ आवर्त कहते हैं सातवें आवर्त में अभी केवल 15 ही तत्व हैं तथा शेष अपूर्ण है

6. दीर्घ आवर्त में प्रथम 8 तत्व समान तत्व है तथा शेष 10 तत्व संक्रमण तत्व है।

7. छठवें और सातवें आवर्त में 8 समान तत्व 10 संक्रमण तत्व तथा 14 अन्तः संक्रमण तत्व है छठवें आवर्त के अन्तः संक्रमण तत्वों को लैंथेनाइड तत्वो कहते हैं तथा सातवें आवर्त के 14 तत्वों को एंटीनाएड तत्व कहते हैं

8. प्रथम आवर्त को छोड़कर प्रत्येक आवर्त किसी छार धातुओं से प्रारंभ करके अक्रिय गैस में जाकर समाप्त हो जाता है।
9. द्वितीय आवर्त के कुछ तत्व तृतीय आवर्त के कुछ तत्वों के साथ विकर्ण संबंध प्रदर्शित करते हैं अर्थात विकिरण संबंध प्रदर्शित करने वाले तत्वों के गुण और धर्म समान होते हैं।
10. किसी आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर विद्युत ऋणात्मकता परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ बढ़ाती है।

दोस्तों अब हम चर्चा करेंगे कि मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी में संशोधन क्यों किया गया अर्थात मेंडलीफ की आवर्त सारणी में क्या-क्या दोष थे-

मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी के दोष

हाइड्रोजन का स्थान-

हाइड्रोजन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास छार धातुओं के समान होता है इसके अतिरिक्त यह हैलोजन ऑक्सीजन तथा सल्फर के साथ सहयोग कर के छार धातुओं द्वारा दिए गए यौगिकों के समान योगिक देता है परंतु हैलोजन के सामान यह द्विक परमाणुक रूप में पाया जाता है तथा धातु व अधातु के साथ सहयोग करके सहसंयोजक योगिक बनाता है अतः मेंडलीफ की आवर्त सारणी में इसका स्थान निश्चित नहीं है यह मेंडलीफ की आवर्त सारणी की पहली कमी थी वह अपने सारणी में हाइड्रोजन को सही स्थान नहीं दे पाया।

परमाणु भार के बढ़ते क्रम में परिवर्तन-

मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी में कुछ स्थानों पर अधिक परमाणु भार वाले तत्वों को कम परमाणु भार वाले तत्वों से पहले स्थान दिया गया जो कि मेंडलीफ की मूलभूत अवधारणा के विपरीत है मेंडलीफ के अनुसार टेल्यूरियम का परमाणु भार 125 तथा आयोडीन का 127 था इसी कारण मेंडलीफ की आवर्त सारणी में टेल्यूरियम को आयोडीन से पहले रखा परंतु प्रयोगों द्वारा यह सिद्ध हुआ कि टेल्यूरियम का परमाणु भार 127.6 तथा आयोडीन का परमाणु भार 126.9 यह क्रम मेंडलीफ की अवधारणा के विपरीत था।

समस्थानिको एवं समभारिकको का स्थान-

इस सारणी में समस्थानिको तथा समभारिको अलग स्थान नहीं दिया गया ना ही इसके कारण का मेंडलीफ ने स्पष्टीकरण दिया।

अक्रिय गैसों का स्थान-
मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी के निर्माण के समय अक्रिय गैसों की खोज नहीं हुई थी अतः मूल आवर्त सारणी में उनके लिए कोई स्थान नहीं था।


दोस्तों इन्ही सब दोषों का निवारण कर मोजले ने मेंडलीफ की संशोधित आवर्त सारणी निकाली जिसे हम आज मेंडलीफ की आधुनिक आवर्त सारणी के नाम से जानते हैं दोस्तों आज के समय में मेंडलीफ की आधुनिक आवर्त सारणी का ही प्रयोग किया जाता है आशा करता हूं कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी इस जानकारी को आप अपने दोस्तों दोस्तों के साथ शेयर करें और आप हमारे कमेंट बॉक्स में अपने विचारों को प्रकट कर सकते हैं आज के लिए बस इतना ही, धन्यवाद
click here to download as a PDF file.


Post a Comment

0 Comments